सराफा कारोबारी, उसके भाई सहित तीन को पुलिस ने किया गिरफ्तार, घटना में शामिल एक शातिर पुलिस की पकड़ से दूर
Report:- Bhagwan Upadhyay
देवरिया। देवरिया जिले में आभूषण की दुकान से 32 लाख रुपये के सोना-चांदी के गहनों की लूट के मामले में पुलिस को सीसीटीवी फुटेज के जरिए जो अंदेशा हुआ था, वह सोमवार को सच साबित हुआ। आभूषण के दुकानदार और उसके भाई ने ही 25 लाख रुपये की उधारी चुकता करने से बचने के लिए दो युवकों को रुपये की लालच देकर लूट कराई।
पुलिस और एसओजी ने सर्राफ, उसके भाई और घटना को अंजाम देने वाले युवक को 13.50 लाख के जेवरात के साथ गिरफ्तार कर लिया है। एसपी एवं अन्य अधिकारियों ने पर्दाफाश करने वाली टीम को 60 हजार रुपये के पुरस्कार देने की घोषणा की है।
डीआईजी/एसपी डॉ. श्रीपति मिश्र ने दोपहर में देवरिया जिले के पुलिस लाइंस के प्रेक्षागृह में प्रेसवार्ता कर लूट की वारदात का पर्दाफाश किया। उन्होंने बताया कि सदर कोतवाली के मलकौली गांव निवासी सूरज वर्मा की सदर कोतवाली के रुद्रपुर मार्ग पर लक्ष्मी नारायण मंदिर के पास आभूषण की दुकान है।
19 जनवरी की शाम को साढ़े छह बजे सफेद रंग की अपाची बाइक सवार दो बदमाशों ने दुकान से 32 लाख रुपये के सोने-चांदी के जेवरात लूट लिए थे। इस मामले में अज्ञात बदमाशों पर मुकदमा दर्ज किया गया था।
पुलिस टीम ने दुकान में लगे सीसीकैमरे और मोबाइल फोन काल डिटेल के आधार पर दुकानदार सूरज और उसके भाई अजय वर्मा को कतरारी चौराहे के पास से सुबह हिरासत में लिया तो लूट की घटना फर्जी निकली।
दोनों ने पुलिस को बताया कि शहर के कई थोक आभूषण विक्रेताओं से करीब 25 लाख रुपये के उधार लेकर आभूषण खरीदे थे, जिसका भुगतान नहीं कर पा रहे थे। इससे बचने के लिए रामपुर कारखाना थाना क्षेत्र के गुदरी निवासी शुभम मौर्य और भलुअनी थाना क्षेत्र के सोनाड़ी निवासी अविनाश के साथ मिलकर लूट की घटना कराने की साजिश रची।
इसके बाद दोनों घटना के दिन शाम को दुकान पर पहुंचे और पिस्टल दिखाकर 13.50 लाख के सोने-चांदी के जेवरात लेकर फरार हो गए। कुछ देर बाद पुलिस को तहरीर देकर 32 लाख रुपये की लूट की वारदात की सूचना दे दी। दुकानदार सहित तीन आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर न्यायालय भेजा, जहां कोर्ट ने सभी को जेल भेज दिया।
कई दिनों से झूठी लूट की घटना का बना रहे थे प्लान
लूट की झूठी वारदात को अंजाम देने के लिए सर्राफ सूरज और उसके भाई अजय ने 15 और 16 जनवरी को योजना बनाई थी। इसके लिए डॉयल 112 पर सूचना देने का प्रयास किया गया था, लेकिन फोन नहीं मिल पाया था। घटना को अंजाम देने वालों एक-एक शातिरों को चार हजार रुपये दिए गए थे। सदर कोतवाली के एक युवक ने पिस्टल उपलब्ध कराई थी।
घटना के बाद चार हिस्सों में बंटवारा कर जेवरात को अपने-अपने घर रख दिए थे। पुलिस ने बताया कि घटना के दिन ही कुछ लोगों को उधार के रुपये लौटाने के लिए बुलाया था।
ये है पर्दाफाश करने वाली टीम
इस फर्जी लूट की साजिश का पर्दाफाश करने में एएसपी राजेश कुमार, सीओ श्रीयश त्रिपाठी, कोतवाल अनुज कुमार सिंह, एसओजी प्रभारी अनिल कुमार, दरोगा गोपाल राजभर, सादिक परवेज, महेंद्र कुमार, संजय यादव, संदीप सिंह, योगेंद्र कुमार, धनंजय कुमार, शशिकांत राय, राहुल सिंह, विमलेश सिंह, सुधीर मिश्र, मेराज खान, प्रशांत शर्मा, दिव्य शंकर राय, सुदामा यादव, वर्मा प्रजापति, पीयूष सिंह, संजय सिंह, रिशेत सोनकर और विजय कुमार शामिल रहें।