नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (AAP) की विधायक दल की बैठक में मंगलवार को आतिशी (Atishi) को दिल्ली का नया मुख्यमंत्री चुन लिया गया है। बता दें कि अभी तक कालकाजी विधानसभा सीट से विधायक आतिशी (MLA Atishi) केजरीवाल की कैबिनेट में शामिल थीं। उनके पास एजुकेशन, पीडब्ल्यूडी जैसे 13 अहम पोर्टफोलियो थे। आतिशी को आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) का सबसे भरोसेमंद माना जाता है।
जानें दिल्ली की नई सीएम आतिशी (Atishi) के बारे में
आतिशी (Atishi)का जन्म 8 जून 1981 को हुआ था। उनके माता-पिता दोनों दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) में प्रोफेसर थे। पिता का नाम विजय सिंह और मां का नाम तृप्ता सिंह है। आतिश पहले अपना पूरा नाम ‘आतिशी मार्लेना’ (Aatishi Marlena) लिखा करती थीं। उनके नाम के पीछे भी दिलचस्प कहानी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक उनके पिता मार्क्स और लेनिन से प्रभावित थे और दोनों को मिलाकर अपनी बेटी के नाम के साथ ‘मार्लेना’ जोड़ा। हालांकि लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) से पहले उन्होंने अपने नाम से मार्लेना हटा लिया, ताकि यह भ्रम न फैले कि वह ईसाई हैं।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी मास्टर्स डिग्री धारक हैं आतिशी (Atishi)
आतिशी की शुरुआती पढ़ाई लिखाई दिल्ली के स्प्रिंगडेल स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने सेंट स्टीफन्स कॉलेज से मास्टर्स की डिग्री हासिल की। फिर चिवनिंग स्कॉलरशिप पर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) चली गईं और वहां से उन्होंने दूसरी मास्टर्स डिग्री हासिल की। आतिशी आम आदमी पार्टी की स्थापना के साथ ही इसके साथ जुड़ी हैं। साल 2013 में जब पार्टी ने अपना मेनिफेस्टो ड्राफ्ट करने के लिए कमेटी बनाई तो आतिशी को भी उसमें जगह मिली। उन्होंने खासकर स्कूलों के लिए नीतियां बनाई और उसको धरातल भी उतारा।
जानें कैसे राजनीति में मारी एंट्री?
आतिशी (Atishi)साल 2015 से 2018 तक दिल्ली के डिप्टी सीएम और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के सलाहकार के तौर पर काम किया। इसके बाद में एक्टिव पॉलिटिक्स में उतरी। कालकाजी से विधायक आतिशी आम आदमी पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी यानी पीएसी की मेंबर भी हैं। वह साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उतरीं लेकिन बीजेपी (BJP) के नेता गौतम गंभीर से हार का सामना करना पड़ा।
आतिशी (Atishi) के पति
पंजाबी राजपूत परिवार से ताल्लुक रखने वालीं आतिशी (Atishi)के पति का नाम प्रवीण सिंह है। प्रवीण एक रिसर्चर और एजुकेटर हैं। वह सद्भावना इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी जैसे संस्थानों के साथ जुड़े हुए हैं। प्रवीण सिंह आईआईटी दिल्ली से पढ़े हैं और फिर आईआईएम अहमदाबाद से भी पढ़ाई की है। उन्होंने करीब 8 साल तक कॉर्पोरेट सेक्टर में काम किया। भारत और अमेरिका की कंसल्टेंसी फर्म्स में भी काम किया। इसके बाद सोशल सर्विस में उतर गए। वह सार्वजनिक तौर पर बहुत कम ही नजर आते हैं।
नौ साल पहले जीता था केजरीवाल का भरोसा
पहली बार की विधायक और 2023 में पहली बार मंत्री बनीं आतिशी ने करिश्माई ठंग से यह उंचाई हासिल की है। कभी योगेंद्र यादव (Yogendra Yadav) और प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) की करीबी रहीं आतिशी ने आम आदमी पार्टी की सबसे बड़ी बगावत में ‘यूटर्न’ मारकर केजरीवाल का भरोसा जीता था। बात 2015 की है। 2012 में बनी पार्टी को तीन साल बाद ही एक बड़े भूचाल का सामना करना पड़ा था। पार्टी के दो दिग्गज नेताओं योगेंद्र यादव (Yogendra Yadav) और प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) की पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) से ठन गई थी। पार्टी की इस बगावत के दौरान आतिशी को पार्टी की प्रवक्ता पद से हटा दिया गया था। वजह यह थी कि उन्हें योगेंद्र यादव का करीबी माना जाता था। कहा जाता है कि यादव ही उन्हें आम आदमी पार्टी (AAP) में लेकर आए थे।
आतिशी (Atishi)ने योगेंद्र यादव (Yogendra Yadav) का साथ छोड़, केजरीवाल पर जताया था भरोसा उस वक्त आतिशी ने एक निर्णायक फैसला लिया जो 9 साल बाद उनके लिए मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ। आतिशी ने एक लेटर लिखकर योगेंद्र यादव (Yogendra Yadav) और प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) से किनारा कर लिया था। उन्होंने तब केजरीवाल के नेतृत्व में भरोसा जताया और पार्टी के लिए काम करती रहीं। धीरे-धीरे उन्होंने केजरीवाल का भरोसा जीता। 2020 में उन्हें पहली बार कालका जी सीट से विधानसभा का टिकट दिया गया। वह चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचीं। पार्टी ने दोबारा उन्हें मीडिया के सामने अपना प्रमुख चेहरा भी बनाया।
मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) और सत्येंद्र जैन (Satyendra Jain) के जेल से इस्तीफा देने के बाद आतिशी को केजरीवाल की कैबिनेट में शामिल किया गया। केजरीवाल ने उन्हें शिक्षा और बिजली समेत 18 विभागों की जिम्मेदारी सौंपी।