उत्तर प्रदेश:-उत्तर प्रदेश में करीब 45 फीसदी ओबीसी मतदाता है ऐसे में मोदी सरकार उन 45 फीसदी मातदाताओं को यूपी चुनाव में अपनी ओर करने की पूरी तैयारी कर रही है। दरअसल, मोदी सरकार ओबीसी क्रीमीलेयर की सीमा बढ़ाने पर विचार कर रही है और अगर सरकार की ओर से क्रीमीलेयर को बढ़ाने का फैसला ले लिया जाता है तो यह भाजपा के लिए काफी उम्मीदें जगाने वाला फैसला साबित होगा। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पिछड़ी जातियों का समर्थन हासिल करके 325 सीटों पर बहुमत हासिल करने में कामयाब हो गयी थी लेकिन इस बार के चुनाव में पार्टी सपा की ओर से जोरदार टक्कर दिए जाने के कारण कड़े मुकाबले में फंसी हुई है। समाजवादी पार्टी ने छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन करके भाजपा के सामने बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी हैं।
बता दें ओबीसी आरक्षण के लिए क्रीमीलेयर की सीमा में बढ़ोतरी की मांग काफी पहले से ही की जाती रही है। इस समय सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में ओबीसी वर्ग के लिए 27 फ़ीसदी आरक्षण का प्रावधान तय है। इस आरक्षण का लाभ उठाने के लिए 8 लाख तक की सालाना आय की सीमा को निर्धारित किया गया था।इससे ज्यादा सालाना आय वाले लोगों को आरक्षण की सुविधा नहीं मिलती हैं। अब इसी सीमा को बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय से जुड़े एक वरिष्ठ अफसर का कहना है कि “आय सीमा को बढ़ाने के संबंध में चर्चा की जा रही है।” आपको बता दें की प्रत्येक तीन साल में आय सीमा की समीक्षा की जाती है। क्रीमीलेयर की आय सीमा की आखिरी बार समीक्षा 2017 में की गई थी। उस वक़्त सरकार ने आय सीमा को बढ़ाकर छह लाख से बढ़ाकर आठ लाख कर दिया था। अब इसमें एक बार फिर चार लाख की बढ़ोतरी पर विचार किया जा रहा है। सन् 2019 में इस मुद्दे पर विचार करने के लिए एक पैनल का भी गठन किया गया था। गांव से जुड़े लोगों की मदद के लिए खेती से होने वाली आय को और सालाना आय के दायरे से बाहर करने पर भी विचार किया जा रहा है।बताया जा रहा है कि इससे ग्रामीणों को आरक्षण की सुविधा का लाभ उठाने में काफी सहायता मिल सकती है। पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने इस दिशा में अपने प्रयासों को काफी तेज कर दिया हैं। ऐसे में यदि सरकार यह बड़ा फैसला करती है तो भाजपा के लिए यह काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।