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गोवा चुनाव में खनन बना बड़ा मुद्दा, देखें पूरी रिपोर्ट

गोवा:- गोवा विधानसभा चुनाव(Goa Assembly Election) में भाजपा, कांग्रेस, आप और टीएमसी के साथ-साथ क्षेत्रीय पार्टियाँ भी खूब ज़ोरों-शोरों से अपनी-अपनी तैयारियाँ कर रही हैं। गोवा राज्य के 70 नागरिक संगठनों ने एक जनता का घोषणापत्र भी जारी कर दिया है।

बता दें इस चुनाव में सभी राजनीतिक दलों का चुनाव अभियान कुछ खास मुद्दों के ही इर्दगिर्द है जिनमें खनन, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार प्रमुख माने जा रहें हैं। ये सभी ऐसे मसले हैं जिन्हे लेकर राज्य की जनता अत्याधिक परेशान है।

अन्य राज्यों से परे, गोवा की एक बड़ी समस्या, गोवा खनन (goa mining issue) रही  है। अन्य जगहों पर भले ही खनन को पर्यावरण की बर्बादी माना जाता हो लेकिन गोवा में खनन शुरू करने की माँग काफी समय से है।

बता दें की पहले गोवा की अर्थव्यवस्था में लौह अयस्क के खनन की हिस्सेदारी लगभग 75 फीसदी तक थी। 2012 से गोवा की कमाई में पर्यटन से ज्यादा हिस्सा खनन(Mining) का होता था।परंतु सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार गोवा में पिछले दस सालों से खनन का कार्य बंद है।यही कारण है राज्य भर में खासकर दक्षिण गोवा(South Goa) में चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा खनन ही है।

सूत्रों के मुताबिक गोवा के लोगों की माँग है कि खनन का कार्य पुनः शुरू कर दिया जाए। और इसलिए ही सभी राजनीतिक पार्टियां सत्ता में आने पर खनन दोबारा शुरू कराने का वादा कर रही हैं। आम आदमी पार्टी ने यह तक ऐलान कर दिया है कि सत्ता में आने के छह महीने के अंदर ही अंदर खनन पुनः से शुरू करा दिया जाएगा।

आपको बता दें की अक्टूबर 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने गोवा के तमाम लौह अयस्क खनन और परिवहन पर रोक लगाने का आदेश पारित किया था। जस्टिस एमबीशाह आयोग की रिपोर्ट के बाद ये फैसला आया जिसमें बताया गया था कि गोवा में लाखों टन लौह अयस्क अवैध रूप से निकाला जा रहा था।

2015 में राज्य सरकार ने 88 खनन कंपनियों की लीज को फिर से बहाल कर दिया था लेकिन 2018 में गोवा फाउंडेशन(Goa Foundation) नाम के एक एनजीओ(NGO) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सारी नई लीज रद्द कर दी थी।

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