जब-जब भारत में किसी के सामने भी टेनिस की बात हो और वह भी महिला टेनिस की तो हर किसी के जुबान पर एक ही नाम सामने आता है, और वह नाम है सानिया मिर्ज़ा(Sania Mirza)। सानिया मिर्जा ने शोहरत की बुलंदियों से लेकर विवादों के कई दौर देखे हैं, परंतु अब उन्होंने स्वंय यह एलान कर दिया है कि यह सीजन उनका आख़िरी सीज़न होगा। सानिया मिर्जा(Sania Mirza) ने यह तक कहा कि पता नहीं वह पूरे सीज़न खेल भी पाएँगी या नहीं।
सानिया मिर्ज़ा(Sania Mirza) इस साल के पहले ग्रैंडस्लैम टेनिस टूर्नामेंट ऑस्ट्रेलियन ओपन में यूक्रेन की नादिया विक्टोरिवना किचेनोक के साथ मिलकर महिला युगल के टेनिस मुक़ाबले खेल रही थीं। सानिया-नादिया की जोड़ी को 12वीं वरीयता भी हासिल थी पर इन्हें पहले ही दौर में ग़ैर वरीयता हासिल जोड़ी स्लोवेनिया की काजा जुवान और तमेरा ज़िदानसेक के हाथों 6-4,7-6 से हार का चेहरा देखना पड़ा।
बता दें, यह मुक़ाबला एक घंटे 37 मिनट तक चला। सानिया मिर्ज़ा(Sania Mirza) के अनुसार इस मुक़ाबले ने उन्हे यह एहसास करा दिया कि अपने टेनिस रैकेट को खूँटी पर टांग देने का समय अब आ गया है, क्योंकि अब उनका शरीर उनका साथ नहीं दे रहा है।
सानिया मिर्ज़ा ने कहा, “आज मेरे घुटने में दर्द हो रहा है। ऐसा नहीं है कि हम इसके कारण हारे, लेकिन लगता है कि अब उबरने में समय लग रहा है क्योंकि उम्र बढ़ रही है। मेरे अंदर हर दिन के दबाव के लिए ऊर्जा और प्रेरणा पहले जैसी नहीं रही।”
सूत्रों की माने तो 15 नवंबर 1986 को हैदराबाद में जन्म लेने वाली सानिया मिर्ज़ा अब 35 साल से अधिक उम्र की हो चुकी है। साल 2019 में सानिया मिर्ज़ा(Sania Mirza) ने एक प्यारे से बेटे को जन्म दिया था। जिसके बाद सानिया ने टेनिस में फिर से वापसी की, लेकिन विश्व में फैली कोरोना महामारी ने उनके आगे बढ़ने के रास्ते पर रोक लगा दिया।
आपको बता दें कि, सानिया मिर्ज़ा का बेटा तीन साल का है और अब उन्हें लगता है कि उसके साथ यात्रा करते हुए वह उसे ख़तरे में भी डाल रही है।
सानिया मिर्ज़ा भारत की सबसे कामयाब व होनहार महिला टेनिस खिलाड़ी रही हैं। वह महिला युगल की बेहद ख़तरनाक खिलाड़ियों में से एक मानी जाती हैं। महिला एकल में भी उन्होंने दुनिया की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में हमेशा से शामिल रहीं। सानिया मिर्ज़ा(Sania Mirza) ने कई बार मारियन बार्तोली, वेरा ज़्वोनारेवा, स्वेत्लाना कुज़्नेत्सोवा, और नम्बर एक रह चुकी दिनारा सफ़ीना, मार्टिना हिंगिस, और विक्टोरिया अज़ारेंका को हार का सामना कराया है।
बताया जा रहा है कि, वह साल 2007 में महिला एकल में 27वीं वरीयता प्राप्त खिलाड़ी थी। इसके बाद एक मैच में वह कलाई में चोट का शिकार हो गईं और केवल युगल की खिलाड़ी बनकर रह गईं, पर युगल मुक़ाबलों में ही वह जमकर सामने आई।
सानिया मिर्ज़ा कि कामयाबी का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो अपने टेनिस करियर में 43 युगल ख़िताब जीत चुकी है। साल 2015 में तो वह दुनिया की नम्बर एक महिला युगल खिलाड़ी भी रह चुकी हैं।
सानिया मिर्ज़ा ने भारत को एशियन गेम्स, राष्ट्रमंडल खेल और एफ़्रो एशियन गेम्स में भी कई पदक दिलाए है।
पहले महेश भूपति और उसके बाद लिएंडर पेस के अंतराष्ट्रीय टेनिस पटल से लगभग हटने के बाद सानिया मिर्ज़ा(Sania Mirza) ही भारतीय टेनिस में पहचान हैं। भारत में दिये इनके योगदानों को भुलाया नहीं जा सकता और इनकी कमी को भी शायद कभी पूरा नहीं किया जा सकेगा।