Thursday, December 5, 2024
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उत्तराखंड में जल्द तैयार होंगे 5 हजार पंचायत भवन, सभी एक रंग में आएंगे नजर

देहरादून: उत्तराखंड में अगले तीन सालों के दौरान 5000 से ज्यादा पंचायत भवनों को बनाने की तैयारी की जा रही है. खास बात यह है कि प्रदेश की हर ग्राम पंचायत में अब पंचायत भवनों का रंग- रूप एक जैसा ही होगा. जिसके लिए पंचायती राज विभाग एक मॉडल डिजाइन तैयार कर चुका है. इसके आगे की कार्य योजना भी तैयार कर ली गई है.

उत्तराखंड के सभी ग्राम पंचायत भवनों को एक ही स्वरुप में ले जाने की तैयारी है. इसके लिए पंचायती राज विभाग ने एक मॉडल डिजाइन तैयार कर लिया है. इस मॉडल डिजाइन के रूप में ही अब प्रदेश की हर ग्राम पंचायत का भवन निर्मित किया जाएगा. खास बात यह है कि शासन स्तर पर इस कार्यक्रम को लेकर विशेष रूप से प्रयास किया गया है. इसके जरिए न केवल ग्राम पंचायत में पंचायत भवनों के जरिए सुविधाएं बढ़ाने के प्रयास किया जा रहे हैं बल्कि राज्य की हर ग्राम पंचायत को एक जैसा पंचायत भवन मिले इसकी भी कोशिश है.

उत्तराखंड में जल्द ही 5000 से ज्यादा पंचायत भवन बनाए जाने हैं. इन पंचायत भवनों को अब नए मॉडल के आधार पर ही तैयार किया जाएगा. पंचायत भवन को लेकर जो मॉडल तैयार किया गया है उसमें एक कक्ष ग्राम प्रधान के लिए होगा. एक कक्ष पंचायत सेक्रेटरी के लिए भी तैयार किया जाएगा. इसी तरह इस पंचायत भवन में इंटरनेट की भी व्यवस्था होगी. इसके लिए बाकायदा एक कंप्यूटर कक्ष तैयार किया जाएगा. जिसमें इंटरनेट की सुविधा के साथ सभी कार्य ऑनलाइन होंगे. पंचायत भवन की छत को दूसरे मल्टीपरपज कार्यों के लिए इस्तेमाल करने के लिए खाली छोड़ा गया है.

राज्य में राष्ट्रीय ग्राम स्वरोजगार योजना को भारत सरकार से फंड प्राप्त है. केंद्र पोषित इस योजना के जरिए हर ग्राम पंचायत के लिए उत्तराखंड को 20 लाख रुपए दिए जाते हैं. ऐसे में ग्राम पंचायत भवन के निर्माण के लिए इस बजट का भी उपयोग किया जाएगा. इसके अलावा राज्य के स्तर पर भी हर ग्राम में पंचायत भवन तैयार करने का खाका तैयार किया गया था. ऐसे में राज्य सरकार भी इसके लिए बजट रिलीज करते हुए सभी ग्राम पंचायत में पंचायत भवन के निर्माण को आगे बढ़ाएगी.

पंचायती राज सचिव चंद्रेश कुमार यादव ने बताया इस योजना के तहत तीन वित्तीय वर्षों में कार्यों को पूर्ण किया जाएगा. इसके जरिए पंचायत प्रतिनिधियों के अलावा गांव के लोगों को भी इसका फायदा मिलेगा.

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