दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ़ भारतीय टीम की तीन मैचों की वनडे सिरीज़ में हार से शुरुआत हुई है। यह वनडे मैच पर्ल में खेला जा रहा था। इस वनडे मैच में भारत को 31 रनों से हार का सामना करना पड़ा।
बता दें के एल राहुल की टेस्ट की तरह वनडे मैचों में भी कप्तानी की शुरुआत हार का सामना करते हुये हुई। शार्दुल ठाकुर के आख़िर में अर्धशतक से भारत हार का अंतर कम करने में ज़रूर सफल हो गया, पर सही मायनों में इस खेल पर दक्षिण अफ़्रीका का पूरी तरह नियंत्रण रहा।
सूत्रों के मुताबिक इस वनडे मैच में भारतीय टीम की हार के प्रमुख कारणों में मध्यक्रम की असफलता, वेंकटेश अय्यर के कंधों पर ज़्यादा बोझ डाल देना, स्पिनरों का प्रभाव नहीं डाल पाना और भुवनेश्वर कुमार में अब पहले जैसा पैनेपन ना दिखना माना जा रहा है।
आपको बता दें की, दक्षिण अफ्रीका के कप्तान बावुमा और रासी की जोड़ी की शानदार बल्लेबाज़ी ने भी भारत को यह वनडे मैच हारने में अहम भूमिका दी है।
इस मैच में भारतीय टीम 298 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी थी, तो उसे कप्तान केएल राहुल (12) के रूप में जल्द ही झटका लगा। लेकिन शिखर धवन (79) और विराट कोहली (51) के बीच 92 रनों की साझेदारी ने भारत को 298 रन के लक्ष्य पाने की ओर एक कदम बढ़ा दिया था। परंतु इस आवश्यक मौके पर मध्यक्रम अपनी ज़िम्मेदारी को उठाने में एकदम से असफल साबित हो गया।
बता दें की जब भारतीय टीम का स्कोर 138 रन था तब शिखर धवन के आउट हो जाने पर और जब भारतीय टीम का स्कोर 152 रन हुआ तो विराट कोहली के आउट हो जाने के बाद विकेट की बारिश शुरू हो गई। तब भारत का स्कोर 188 रन तक पहुंचते-पहुंचते श्रेयस अय्यर (17), ऋषभ पंत (16) और वेंकटेश अय्यर (2) पेवेलियन लौट गए।
वेंकटेश अय्यर पहला वनडे मैच खेल रहे थे। यस अय्यर और वेंकटेश दोनों तकनीकी ख़ामी की वजह से आउट हो गए थे। दोनों बाउंसर पर शॉट मारने के प्रयास में कैच आउट हो गए। दोनों के ही शॉट खेलते समय पैर हवा में थे और ऐसी स्थिति में बल्लेबाज़ का संतुलन बनाना मुश्किल हो जाता है। यही कारण है की दोनों ही खेलते समय गेंद पर नियंत्रण बनाने में कामयाब नहीं रह पाएँ।
बता दें की विराट कोहली आमतौर पर जिस शॉट को खेलने के लिए नहीं जाने जाते हैं, वही शॉट खेलकर ही वो आउट हुए। लेकिन विराट जिस अंदाज़ के लिए जाने जाते हैं, उस रंगत में नहीं दिखे, पर विकेट पर डटकर खेल रहे थे।
सूत्रों के मुताबिक वेंकटेश अय्यर ने पिछले आईपीएल में धमाकेदार ऑलराउंड प्रदर्शन किया था। लेकिन अंतरराष्ट्रीय मैच और वह भी दक्षिण अफ्रीका जैसे देश के सामने खेलने पर उन्हें छठे नंबर पर उतारना भारतीय टीम के लिए सही क़दम नहीं माना जा सकता है।
जैसा की हम सभी जानते हैं कि इस स्थान पर हमेशा से हार्दिक पांड्या खेलते रहे हैं और वह अपने अकेले के दम पर मैच की तस्वीर बदलने वाले खिलाड़ी साबित रहें हैं। वो शुरू से ही आक्रामक रुख़ अपनाने की क्षमता रखते हैं और साथ ही गेंदबाज़ी से भी प्रभावित करते आए हैं।
बताया जा रहा है की, इस वन डे मैच में भारतीय टीम की ओर से भारत के ख़ासे अनुभव रखने वाले रविचंद्रन अश्विन और युजवेंद्र चहल भी खेल रहे थे। लेकिन दोनों ने ही अपनी-अपनी क्षमताओं के विपरीत ही प्रदर्शन किया।
बता दें, अश्विन ने शुरुआत में क्विंटन डिकॉक का विकेट ज़रूर निकाला था पर बाद में वह रासी वान डेर डुसें पर ज़रा भी प्रभाव डालने में असफल रहें।
वहीं दूसरी ओर इस पूरे वनडे मैच में कभी नहीं लगा की यूजवेन्द्र चहल पहले जैसा पैनापन रखने वाले गेंदबाज़ हैं। बताया जा रहा है कि काफ़ी समय से भारतीय टीम से बाहर रहने की वजह से पहले जैसा विश्वास उनमें नहीं दिख रहा था।
आपको बात दें की, भुवनेश्वर कुमार को पहले रनों पर अंकुश लगाने के साथ-साथ सफलता दिलाने वाला गेंदबाज़ भी माना जाता था। निराश करने वाली बात यह है की उनकी यह ख़ूबी इस मैच में कहीं भी देखने को नहीं मिली। उनका 10 ओवर में बिना विकेट के 64 रन देना उनके बेहद बुरे प्रदर्शन को दर्शाता है।